. पिछले महीने उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून ( Population Control Bill ) का प्रस्ताव रखा था. इस बिल में दो से ज्यादा बच्चे वालों को सरकारी नौकरी नहीं देने की बात कहने के अलावा और भी कई बातें थीं. विधि आयोग ने इस बिल के बारे में जनता से सुझाव मांगे थे. जिसमे अभी तक लगभग 8500 सुझाव आयोग को मिले हैं. इनमें से कई ऐसे सुझाव हैं जो लड़कियों की अपेक्षा में लड़कों को प्राथमिकता देने वाले हैं.
. एक मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार कुछ सुझावों में कहा गया है कि दो बच्चियों वाले पति-पत्नी को तीसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति मिलनी चाहिए. साथ ही यह सुझाव भी आया है कि विकलांग बच्चे वाले माता-पिता को भी अतिरिक्त संतान पैदा करने की इजाजत मिलनी चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश कानून आयोग ने इन प्रस्तावों को 53 श्रेणियों में बांटा है.
. इन सुझावों के बारे में उत्तर प्रदेश विधि आयोग के चेयरमैन और प्रस्तावित बिल का ड्राफ्ट तैयार कर रहे जस्टिस ए.एन. मित्तल ने मीडिया को बताया, “राज्य विधि आयोग को बहुत से सुझाव मिले हैं, लोगों ने दो बच्चियों वाले माता-पिता को तीसरी संतान पैदा करने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है. प्रस्तावित बिल का ड्राफ्ट पूरा हो चुका है और पैनल जल्द ही इसे मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को सौंप देगा.
. ”इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश कानून आयोग ने 9 जुलाई को प्रस्तावित बिल को वेबसाइट पर अपलोड किया था. आयोग ने 19 जुलाई से सुझाव मांगे थे. उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, इस प्रस्तावित बिल का उद्देश्य राज्य की प्रजनन दर को कम करना तथा बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करना है. इसके लिए सरकार ने दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने और दो बच्चे पैदा करने वालों को अतिरिक्त सरकारी फायदे देने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि, कुछ लोग यह भी कह रहे है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले आया यह प्रस्तावित बिल असल में एक समुदाय विशेष के खिलाफ सांप्रदायिक माहौल बनाने के लिए लाया गया है.
. ‘सुझाव बहुत खतरनाक हैं’ महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने इन सुझावों की निंदा की है. उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से भी कुछ सवाल पूछे हैं. कविता कृष्णन ने बताया, “ये सुझाव काफी खतरनाक हैं. सरकार द्वारा उन्हें सुझाव के तौर पर शामिल करना और भी खतरनाक है. इन सुझावों में तो यही बताया जा रहा है कि बच्चियों का होना या विकलांग बच्चे का होना कोई खराब बात है. यह अपने आप में बहुत ही आपत्तिजनक है. भले सरकार इन सुझावों को शामिल ना करे. लेकिन अगर आप इस तरह के कानून बनाएंगे, तो कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा देंगे. यह जरूरी नहीं कि तीसरा बच्चा बेटा ही हो या फिर वो अपाहिज ना पैदा हो. चीन में यह देखा जा चुका है. वन चाइल्ड पॉलिसी के चलते वहां लिंग अनुपात बिगड़ा. भारत में तो पहले से ही लिंग अनुपात खराब है. जब सरकार इस बात को स्वीकार कर रही है कि समाज में बेटा पैदा करने की चाहत है, तो वो इस तरह का कानून क्यों बनाना चाहती है? आप बच्चों की संख्या पर नियंत्रण लगाएंगे तो कन्या भ्रूण हत्या बढ़ेगी. ”कविता कृष्णन आगे कहती हैं कि देश में महिलाएं पहले से ही बहुत पीछे हैं. वो राजनीति में नहीं हैं, पब्लिक स्पेस नें नहीं हैं, उन्हें वेतन भी कम मिलता है. यहां तक उनके पास यह अधिकार भी नहीं है कि वे कितने बच्चे पैदा करेंगी. ऐसे में सरकार अगर दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर उनकी रही-सही सरकारी सुविधाएं भी छीन लेना चाहती है, तो इससे बुरा महिलाओं के लिए कुछ नहीं हो सकता. कविता कृष्णन सरकार के सामने यह सवाल भी उठाती हैं कि अगर उसे इस तरह का कानून बनाना है ही, तो वो कम से कम महिलाओं को छूट क्यों नहीं दे रही है? विकलांग बच्चा होने पर अतिरिक्त बच्चा पैदा करने का सुझाव भले ही उत्तर प्रदेश कानून को अभी मिला हो, लेकिन प्रस्तावित बिल में यह प्रावधान पहले से ही है. हमने सरकार के प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट को देखा. इसके सेक्शन 15 में पहले या दूसरे बच्चे की विकलांगता को लेकर साफ-साफ लिखा है कि चाहे पहला बच्चा विकलांग हो या दूसरा, या फिर दोनों ही बच्चे विकलांग हों, ऐसी स्तिथि में माता-पिता को तीसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति होगी.
. प्रस्तावित उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल के सेक्शन 15 में विकलांग बच्चा होने की स्तिथि में अतिरिक्त बच्चा पैदा करने की मंजूरी देने का प्रस्ताव है. अगर बात करें इस प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट की, तो इसमें दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को लगभग 77 सरकारी योजनाओं और अनुदान से वंचित करने की बात कही गई है. इस ड्राफ्ट में यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि कानून बनने के एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय निकाय में चुने गए जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वो इसका उल्लंघन नहीं करेंगे. तीसरी संतान पैदा करने पर जनप्रतिनिधि का निर्वाचन रद्द करने और चुनाव लड़ने पर रोक का प्रस्ताव भी दिया गया है.