महान कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक, चित्रकार और राष्टÑगान के रचियता रवींद्रनाथ टैगोर की आज 80वीं पुण्यतिथि है। उनको रबी, गुरुदेव और बिस्वाकाबी के रूप में भी जाना जाता है, रवींद्रनाथ टैगोर के काम ने कलाकारों की पीढ़ियों को प्रेरित किया है। उनकी कहानियों और कविता की सूक्ष्म प्रतिभा ने दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वह पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे जिन्हें कविता के अपने अनुवादित काम ‘गीतांजलि: सॉन्ग आफ रिंग्स’ के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरूआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ बंगाली साहित्य और संगीत के साथ-साथ भारतीय कला को भी नया रूप दिया। देबेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के पुत्र रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता के जोरासांको हवेली में हुआ था। उन्होंने 14 साल की छोटी उम्र में अपनी मां को खो दिया। टैगोर ने 17 साल की उम्र में इंग्लैंड के ईस्ट ससेक्स के ब्राइटन में एक पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई भी की। हालांकि, उन्होंने जल्द ही स्कूल छोड़ दिया और साहित्य का अध्ययन करना शुरू कर दिया। वह अंग्रेजी, आयरिश और स्कॉटिश लोक धुनों से प्रेरित थे। वह वर्ष 1880 में भारत लौटे।