प्रदेश के व्यापारी को संगठन का हिसाब चाहिए, और संविधान की कॉपी चाहिए, करोड़ों रुपया का कोष किस बैंक में जमा है, उसकी डिटेल और जानकारी चाहिए। आज बहुत ही आश्चर्य की बात है की कुछ लोग उल्टे चोर कोतवाल को डांटे की कहावत चरितार्थ कर व्यापारी हितैषी होने का ढोंग कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के स्वयं घोषित कथित स्वंभू अध्यक्ष एवं प्रदेश महामंत्री जिन्होने अपने कुछ चाटुकारों के साथ मिलकर व्यापारी कल्याण बोर्ड को भंग करने की मांग करके बोर्ड के सभी सरकार द्वारा बनाए गए पदाधिकारियो एवं सदस्यों का अपमान किया है तथा व्यापारियों के कल्याण एवं समस्याओं के हल के लिए सभी बोर्ड पदाधिकारियों के द्वारा जो व्यापारिक हितों में काम किया जा रहा है ,उसे भी रोकने का काम करने का असफल प्रयास यह लोग निजी स्वार्थों के कारण कर रहे है ,इस तरह के व्यापारी हित विरोधी क्रियाकलापों और षडयंत्रों की व्यापारियों के मसीहा आदरणीय गोलोकवासी श्री श्याम बिहारी मिश्रा जी के साथ वैधानिक रूप से निर्वाचित पदाधिकारिगण कड़ी निंदा करते है, और कड़ी चेतावनी देना चाहते हैं कि अपने निहित स्वार्थ सिद्ध के लिए अनुचित कार्यों एवं बयानों का सहारा लेकर व्यापारिक एकता को कमजोर करने का कार्य नहीं करें, बल्कि व्यापारिक हितों के लिए कुछ करके दिखाएं वरना व्यापारी समाज द्वारा ऐसे लोगों को मुंह तोड जबाब दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के कथित स्वंभू अध्यक्ष से हम कुछ सवाल करना चाहते हैं –
1-व्यापार मंडल के कोष का 1 सितम्बर 2005 से आज तक का हिसाब क्यो नही दिया, कोष के करोड़ों रुपए कहां हैं,
2-व्यापार मंडल के नाम पर शहीद कोष एवं कोरोना काल के नाम पर सहायता कोष पूरे प्रदेश से तथा राष्ट्रीय स्तर पर भी जो करोड़ों रुपया इकट्ठा किया गया, परन्तु केवल रु. 500000 पांच लाख रुपये मुख्यमंत्री सहायता कोष में दिए गए उसका हिसाब अभी तक व्यापार मंडल में तथा सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं दिया गया है, शेष करोड़ों रुपए कहां है।
3-व्यापार मंडल एक सामाजिक संगठन है जिसको व्यापारिक हितों के लिए बनाया गया है उसमें परिवार वाद क्या उचित है, क्या वह पैतृक संपत्ति के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
4- संविधान के किस प्रारूप के अंतर्गत आप वर्तमान में स्वयंभू रूप से अध्यक्ष और पदाधिकारी किस वैधानिक प्रक्रिया से बने हैं।
5-संविधान के किस प्रक्रिया वैधानिक नियमों के अनुसार आपने संगठन के वरिष्ठ तम उपाध्यक्ष जो संगठन की स्थापना के समय से जुड़े हुए हैं श्री रविकांत गर्ग एवं श्री मोहनलाल सरावगी, श्री मुकुट लाल अग्रवाल गोंडा आदि को किस प्रावधान के अंतर्गत बिना किसी प्रकार का नोटिस और आरोप लगाए निकालने का नाटक किया है।
6-प्रदेश के सभी जनपदों नगरों महानगरों कस्बा, तहसीलों आदि से प्रदेश के निर्वाचन कराए जाने के नाम पर स्थानीय संगठनों की सदस्यता अभियान चलाकर तथा फिर पदाधिकारी नियुक्त करने के नाम पर जो हजारों लाखों रुपया प्रत्येक जनपद से एकत्रित किया गया है, कुल राशि वर्तमान में 5 करोड़ से अधिक है, का आय व्यय अभी तक क्यों नहीं दिया गया , ललितपुर की कथित बैठक में जो आय व्यय प्रस्तुत करने का ड्रामा किया गया तथा किसी को आय व्यय की प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई गई पैसा हजम करने का ढोंग नहीं तो और क्या है ।
7- 7, 8 सितंबर को वृन्दावन में संगठन के प्रदेश निर्वाचन कराने का जो ढोंग किया जा रहा है, क्या वह चुनाव कराए जाएंगे, वह चुनाव किस संविधान के अंतर्गत होंगे, क्या कोई संविधान है या नहीं, है तो उस संविधान की कॉपी और किसी भी पदाधिकारी या सदस्य को अभी तक क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई, क्या पूर्व में भी कभी कोई चुनाव हुए हैं ,या केवल फार्म भरवा कर करोड़ों रुपया इकट्ठा करना ही उद्देश्य बन गया है, संगठन से जुड़े सभी लोग जानते हैं कि पंडित श्याम बिहारी मिश्रा जी के सामने भी इस प्रकार के प्रश्न उठते थे, परंतु उनकी कार्यशैली , प्रभाव और दबाव के कारण कुछ लोग बोल नहीं पाते थे, जो बोलते थे उन को चुप करा दिया जाता था अथवा पंडित जी द्वारा उनको विभिन्न प्रकार की तसल्ली दी जाती थी, तब चुनावों का ड्रामा पूरा किया जाता था।
8- घोषित कथित निर्वाचन में सबसे महत्वपूर्ण कोषाध्यक्ष के पद पर चुनाव कराने की घोषणा क्यों नहीं की गई है, क्या कोषाध्यक्ष का चुनाव ना करा कर पूर्व से ही सारे कोष को हड़पने की योजना तैयार कर ली गई है।
9- वर्तमान कथित स्वंभू अध्यक्ष/महामंत्री व उनके सहयोगी साथियों से यह भी आग्रह है कि संगठन के हित में यह भी देखें कि 40 से अधिक जनपदों की इकाईयां उनसे कैसे दूर हो गई हैं और उन्होंने आपके संगठन का साथ छोड़ दिया है इसके पीछे आपकी कार्यशैली और कार्य व्यवहार तथा स्वार्थ नहीं है तो और क्या है स्पष्ट करें
लेकिन अब परिस्थिति बदली हुई है, वर्तमान में व्यापारी संगठन और समाज के लिए कुछ करने वाले नहीं बल्कि पैतृक संपत्ति के नाम पर भोगने के लिए आतुर, दुर्योधन के समान सत्ता के लोभियों के साथ चाटुकारों का जमघट है, जिनकी ना कोई नीति है ना कोई नियति है, कथित प्रदेश अध्यक्ष ललितपुर की सभा में प्रदेश शासन को उखाड़ फेंकने की चेतावनी देता है, दूसरी और सत्ताधारी दल का पदाधिकारी बनकर प्रभाव दिखाना चाहता है, एक कथित स्वंभू महामंत्री व्यापारी कल्याण बोर्ड को भंग करने की मांग करता है, दूसरे माननीय महामंत्री जी कल्याण बोर्ड के कार्यों की प्रशंसा करते हैं जो सही भी है, इस प्रकार प्रदेश के भामाशाहो को गुमराह करना, व्यापारिक संगठन को कमजोर करना गंभीर सोचनीय प्रश्न है, तथा सामाजिक अपराध भी है, जिसका सार्वजनिक रूप से निराकरण और संविधान तथा संगठन के कोष की सुरक्षा के संदर्भ में स्पष्ट घोषणा बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है, वर्तमान में जो नेतृत्व के लिए अपने आप को प्रस्तुत कर रहे हैं अथवा स्वघोषित कर रहे हैं उनका व्यापारी के लिए कोई संघर्ष का इतिहास नहीं है वह केवल अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए जमावड़ा बना कर संगठन को हथियाना चाहते हैं, जो प्रदेश का व्यापारी समाज कभी होने नहीं देगा, हमारा सभी व्यापारी बंधुओं और संगठनों से अपील है कि अगर यह कथित अध्यक्ष और महामंत्री इन सभी बातों का सार्वजनिक रूप से स्पष्ट उत्तर और दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत नहीं करते हैं तो आप प्रत्येक जनपद, नगर ,महानगर, तहसील , कस्बों, मंडियों में इनका घिराव करें, सवाल पूछें, मीडिया के माध्यम से भी पूछें, बैनर लगाएं इनसे हिसाब और आय व्यय लिखित में तथा संविधान की कॉपी मांगे तथा संगठन का कोष किस बैंक में और कितना जमा है और कितना है उसको पूर्ण रूप से लिखित में लें यदि यह नहीं मानते हैं तो आप इनके विरुद्ध वैधानिक और अपराधिक संहिता में कार्यवाही के लिए तैयार हों, जिससे कोई भी आपके हितों पर डाका नहीं डाल सके हम हैं,
अपने मार्गदर्शक और नेता रहे लाला बिशंबर दयाल जी और आदरणीय पंडित श्याम बिहारी मिश्रा जी तथा आपके पुराने साथी और सहयोगी हम सभी के पुराने साथी और व्यापारी समाज के शुभचिंतक होने के नाते संपूर्ण व्यापारी समाज से अपील करते हैं कि भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविकांत गर्ग के हाथो को मजबूत करे , जिन्होंने अच्छ से कच्छ तक तथा कश्मीर से कन्याकुमारी और पांडिचेरी तक दिन रात मेहनत कर संगठन बनाने का काम किया है , तथा संपूर्ण भारत में पूर्व की भांति साफ, स्वच्छ छवि के साथ 200000000 बीस करोड़ व्यापारियों को एक धागे में पिरो कर मजबूत माला रूपी संगठन बनाने तथा उत्तर प्रदेश मे भी व्यापारी कल्याण बोर्ड के सभी पदाधिकारि गण व्यापारियों की समस्याएँ सुन कर मदद करते हैं, छोटी से बड़ी समस्याओं का हल कराते हैं, हमारे पास सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक उचित माध्यम है, हम लोग उन सभी कल्याण बोर्ड के पदाधिकारियों का उत्साह और आभार प्रकट करने के स्थान पर बोर्ड भंग करने की मांग करे क्या यह उचित है , यह तो उसी प्रकार से जैसे कुछ षड्यंत्रकारी तत्व यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और प्रदेश के कर्मठ और यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से भी अपने निजी स्वार्थों के कारण सत्ता से हटाने की बात करते रहते हैं, हमारा निवेदन है किसभी पदाधिकारियो को इस प्रकार के बयान की निंदा करनी चाहिए ,साथ ही एसे लोगो का साथ नही देना चाहिए ,हम माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होने कल्याण बोर्ड का गठन किया जिससे व्यापारियो का कल्याण हो हमारी मांग है कि बोर्ड के स्थान पर व्यापारी कल्याण आयोग का गठन किया जाए जिससे और सशक्त ढंग से व्यापारियो की समस्याएँ हल हो सके यही व्यापार मंडल का उद्देश्य है।
निवेदक- भैरोंप्रसाद मिश्रा पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बांदा, मोहनलाल सरावगी वरिष्ठ उपाध्यक्ष वाराणसी, मुकुट लाल अग्रवाल वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोंडा, वीरेंद्र धींगरा प्रदेश उपाध्यक्ष, बदायूं, अनिल महेश्वरी प्रदेश उपाध्यक्ष कासगंज, अमित कुमार पल्तानी प्रदेश संगठन मंत्री कासगंज, अरुण अग्रवाल पूर्व प्रदेश महामंत्री