
सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट संदीप त्यागी रसम ने संस्था की ओर से एक ज्ञापन पत्र जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी को भेजा है
ज्ञापन निखिल चतुर्वेदी एसीएम को सौंपा गया जिसमें मांग की गई है कि हर समुदाय पर उसके पर्सनल लॉ के अनुसार न केवल सिविल मामलों में अपितु आपराधिक मामलों में भी लागू किया जाना चाहिए आधे अधूरे पर्सनल लॉ समुदायों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं और अगर यह संभव नहीं है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी नागरिकों पर एक समान रूप से लागू किया जाना चाहिए अगर संवैधानिक आदेश में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनेक बार सरकार को कहने के बावजूद यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना भारत में संभव नहीं है तो सभी समुदायों को सिविल व क्रिमिनल सभी मामलों में उनके पर्सनल लॉ लागू कर दिए जाएंइस अवसर पर मुख्य रूप से पंडित अशोक भारतीय प्रदीप चौधरी डॉ बीके शर्मा हनुमान संदीप त्यागी रसम अमित हिंदू वीरेंद्र कंडेरे उपस्थित रहे
भेजे गए ज्ञापन में लिखा है कि संगठन रसम देश के 21 राज्यो में सक्रिय भूमिका में विभिन्न सामाजिक विषयों पर जन-जागरण अभियान में संलग्न है वर्तमान समय में सामाजिक ताने-बाने को चोट पहुंचाने वाले तत्व सक्रिय हो उठे हैं राष्ट्र की उन्नति के लिए इनका कुचला जाना आवश्यक हैधर्मनिरपेक्ष भारत में विभिन्न मजहब संप्रदाय को पर्सनल लॉ मिले हुए हैं सरकार से विनम्र प्रार्थना है कि पर्सनल लॉ को पूर्ण रूप से हर समुदाय के ऊपर लागू कर दिया जाए जिन को यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस नहीं होती है केवल सिविल मामलों में ही पर्सनल लॉ लागू ना रहे क्रिमिनल मामलों में भी पर्सनल लॉ लागू कर दिए जाएं और यह स्वतंत्रता हर नागरिक को मिलना चाहिए कि वह क्या पहनें क्या न पहनें कर्नाटक के स्कूल में हिजाब विवाद में जो हिजाब का विरोध कर रहे हैं उन्हें उनके समुदाय के पर्सनल लॉ के अनुसार दंड देने की व्यवस्था होनी चाहिएवहीं दूसरी तरफ जो हिजाब पहनने का समर्थन करते हैं इसका कहीं किसी भी प्रकार से अगर पालन नहीं करते पकड़े जाते हैं तो उन्हें उनके समुदाय के पर्सनल लॉ के अनुसार दंडित करने की व्यवस्था करना चाहिएइससे विविधताओं से परिपूर्ण भारत में शायद शांति और सौहार्द्र कुछ दशक तक ओर बना रहेजिसकी राष्ट्र को बहुत आवश्यकता हैराष्ट्र को विश्व का सिरमौर बनाने के लिए उन्नति के लिए शांति के वातावरण की आवश्यकता हैइस आवश्यकता को पूरा करने के लिए युनिफोर्म सिविल कोड तुरंत लागू करना चाहिए यह सम्भव नहीं हो तो हर समुदाय को उसके पर्सनल लॉ के अनुसार न्याय व्यवस्था/न्यायालय तक भी प्रशासन में स्थापित करने पर विचार करते हुए शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिएइसमें राष्ट्र के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ विषय पर्सनल लॉ से बाहर रखते हुए युनिफोर्म ला/ एक समान कानून के अंतर्गत रखे जा सकते हैं ।