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गाजियाबाद 1 अक्टूबर, कल घंटाघर रामलीला मैदान में हुए हादसे से भी न तो रामलीला कमेटियों ने कोई सबक लिया है न ही जिला प्रशासन ने। रामलीला में लगे झूलो की तकनीकी जांच किए बिना ही महज खानापूर्ति करके झूलो की अनुमति दे दी गई जिसका दुखद परिणाम हुआ की कल घंटाघर रामलीला मैदान में एक झूला टूट गया और 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए वो गनीमत ये थी कि ये झूला छोटा था
और सिर्फ नीचे ही घूमता था अगर ये कोई बड़ा झूला होता या ऊपर की तरफ चलने वाला होता तो क्या दुर्दशा होती ये सोचकर ही डर लगता है परंतु न तो झूलो के ठेकेदार न ही रामलीला कमेटी और न ही प्रशासन ने इससे कोई सबक लिया और आज भी झूलो की कोई तकनीकी जांच नहीं कराई गई।
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कविनगर रामलीला मैदान में झूले अत्यधिक लोगो को बिठाकर चलाए जा रहे है झूलो के लिए लोक निर्माण विभाग या अन्य किसी उचित एजेंसी से तकनीकी जांच भी नही कराई गई है
ऐसे में यदि कोई हादसा हुआ तो कोन इसका जिम्मेदार होगा रामलीला कमेटियां करोड़ो रुपए में झूले के ठेका देकर मोटी कमाई करती है मनोरंजन कर या जी इस टी विभाग भी आंखे मूंदकर बैठा हुआ है
राजस्व की भारी हानि के साथ ही लोगो की जान को भारी जोखिम होते हुए भी तमाम प्रशासनिक अधिकारी कविनगर रामलीला मैदान में ही अतिथि के रूप में घूमने जाते है चूंकि प्रशासनिक अधिकारी है तो उनके परिवारों के लिए झूले फ्री है इसलिए अनियमित्तताओ पर आंखें मूंदे बैठे है।